रिपोर्टर – समी आलम
संयुक्त किसान मोर्चा के अपने अपने क्षेत्र के सांसदों को 16 से 18 जुलाई के बीच किसानों की समस्याओं पर ज्ञापन देने के राष्ट्रीय आह्वान के तहत अखिल भारतीय किसान महासभा कार्यकर्ता नैनीताल उधमसिंहनगर के सांसद अजय भट्ट के कार्यालय/ निवास पर ज्ञापन देने पहुंचे लेकिन उनके जिले से बाहर रहने की सूचना पर ज्ञापन को कार्यालय/ निवास पर रिसीव कराया गया।इस अवसर पर अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने बताया कि, देश के किसान और मजदूर, चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपनी आजीविका के मुद्दों को लेकर, स्वतंत्र रूप से और साथ ही संयुक्त रूप से, एक लंबे मुद्दे-आधारित संघर्ष में लगातार अभियान चला रहे थे।
इन संघर्षों ने बड़े पैमाने पर लोगों में आत्मविश्वास भरा, मीडिया को प्रभावित किया, और भारत के संविधान में निहित लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और संघीय सिद्धांतों और सामाजिक आरक्षण की रक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे लाने में मदद की।उन्होंने कहा कि, संयुक्त किसान मोर्चा की 10 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में चुनाव के बाद के परिदृश्य का आकलन किया गया है। हमारा मानना है कि केंद्र सरकार को यह समझना चाहिए कि सत्तारूढ़ गठबंधन को पांच राज्यों में 38 ग्रामीण लोक सभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है जहां किसान आंदोलन मजबूत था। पूरे ग्रामीण भारत में सत्तारूढ़ गठबंधन ने 159 सीटें खो दी हैं।
यह लंबे समय से चले आ रहे कृषि संकट का परिणाम है और यह भविष्य में कृषि नीतियों में बड़े बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित करता है।जंगी ने मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए-2 सरकार को एसकेएम और केन्द्र सरकार के बीच 9 दिसंबर 2021 को हुए समझौते के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसमें किसानों की लंबे समय से लंबित मांग जैसे कि लाभकारी और गारंटीकृत एमएसपी के साथ खरीद, व्यापक ऋण माफी, बिजली के निजीकरण को निरस्त करना आदि शामिल हैं। 736 शहीदों के सर्वोच्च बलिदान और 384 दिनों 26 नवंबर 2020 से 11 दिसंबर 2021 तक चले दिल्ली की सीमाओं पर लगातार और अनिश्चितकालीन तेज संघर्ष में भाग लेने वाले लाखों किसानों की पीड़ा की पृष्ठभूमि में हुए, इस समझौते पर भारत सरकार के कृषि विभाग के सचिव ने हस्ताक्षर किए। वर्तमान में भारत के मेहनतकश नागरिक व्यापक ऋणग्रस्तता, बेरोजगारी और महंगाई जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। भारत में प्रतिदिन 31 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। तीव्र गति से बढ़ रहे कृषि संकट, किसानों की आत्महत्या, गांवों से शहरों की ओर बढ़ते पलायन का संकट और घटती आय और धन असमानता को हल करने के लिए नीतियों में बदलाव आवश्यक है।
इसलिए, एसकेएम ने कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों में बदलाव, 9 दिसंबर 2021 के समझौते को लागू करने, और अन्य प्रमुख मांग, जिन्हें मांग पत्र के रूप में शामिल किया गया है, को लेकर आंदोलन को फिर से शुरू करने का फैसला किया है।ज्ञापन में सांसद से अनुरोध किया गया कि वे किसानों और खेत मजदूरों के साथ खड़े हों और प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल पर लंबित ज्वलंत मांगों पर तत्काल और सार्थक कार्रवाई करने का दबाव डालें।ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी, किसान नेता पुष्कर सिंह दुबड़िया, किशन बघरी, विमला रौथाण, निर्मला शाही, धीरज कुमार, कमल जोशी, प्रभात पाल और माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय शामिल रहे।