आज 28 सितम्बर शहीद भगत सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर एम.बी.पी.जी. महाविद्यालय हल्द्वानी (उत्तराखंड) में परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) ने शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने का कार्यक्रम किया। शहीद भगत सिंह को छात्रों ने सम्मानपूर्वक याद करते हुए पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम शांतिपूर्वक चल रहा था।


इसी दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सूरज सिंह रमोला, कौशल बिरखानी, कार्तिक बोरा व अन्य दर्जनों लड़कों ने पछास कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम करने से रोका, उनके साथ मारपीट की। गुण्डागर्दों के इस झुण्ड से चोटिल हो कार्यकर्ता महेश और चन्दन बचते हुए महाविद्यालय से बाहर निकले तो वहां भी घेर कर उनको मारा। यह गुण्डागर्दी दिखाती है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं इनके मातृ संगठन आरएसएस, भाजपा ने देश में क्रांतिकारी शहीदों को याद करना भी मुश्किल बना दिया है।

इन संगठनों का राष्ट्रवाद क्या यही है? जहाँ शहीदों की पुण्य तिथि को भी नहीं मनाने दिया जायेगा।इन लम्पटों का दुस्साहस इतना अधिक था की इन्होंने हिंदुस्तान के पत्रकार प्रमोद डालाकोटी जी से भी मारपीट की। ज्ञात हो कि सूरज रमोला व अन्य लम्पटों ने पिछले दिनों हल्द्वानी के प्रतिष्ठित अस्पताल के डॉक्टर के साथ भी मारपीट की थी। ये घटनाएं साबित करती हैं कि ए बी वी पी पूरे सभ्य समाज का ही दुश्मन है।पछास कार्यकर्ता जब मेडिकल जांच करा कोतवाली में शिकायत दर्ज कराने गये तो ये लम्पट वहां पहले से मौजूद थे।

वहां पछास कार्यकर्ताओं के पक्ष में बात रख रहीं प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की महासचिव रजनी व एक अन्य महिला कार्यकर्ता के साथ भी इन लम्पटों ने अभद्रता की। यही है महिलाओं के सम्मान में बड़ी-बड़ी बातें करने और नारे गढ़ने वाले इन गुण्डों के असली संस्कार- अभद्रता, मारपीट, गालीगलौज। क्या महिला, क्या पुरूष, क्या बुजुर्ग, क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम, क्या दलित, सबके ये दुश्मन हैं।कभी महान क्रांतिकारियों को याद करते हुए कहा जाता था कि “शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।” जाहिर है कि आज शहीद भगत सिंह की विरासत को मानने वालों को इस “काली गुलामी” के वारिस आरएसएस, भाजपा, एबीवीपी के लम्पटों का सामना करना होगा।
