
*क्रांति* ज्वाल में मेरठ झुलसा पूरा दिल्ली जाग जला,बुंदेलों का पौरुष जागा फिर झांसी बेलाग जला,धीरे धीरे पूरा भारत दिल में लेकर आग जलाकाकोरी,लाहौर कराची,जलियांवाला बाग जला,इसी आग में कुंदन बनने शेखर भगत सुभाष जले,,प्राण हथेली पर रख अपने कफ़न शीश पर बांध चले,,आजादी के इसी युद्ध ने खुदी राम की फांसी देखी।इलाहाबाद का तेवर देखा रंग बदलती काशी देखी,,आजादी की रणभूमि ने जगरानी सी मां भी देखी,रणचंडी जगदम्ब भवानी जैसी दुर्गा भाभी देखी,,राजगुरु सुखदेव भगत की देश पे अर्पित जाँ को देखा,बिस्मिल के सब जख्म भी देखे अशफाक उल्ला खां को देखा।नए भोर की अंगड़ाई ने हिम्मत की आंधी को देखातिलक गोखले बंकिम देखे,संकल्पित गांधी को देखादेश भक्ति की लौ पर युग ने हर दिल बना पतंगा देखाअंग्रेजों के जुल्म के आगे डटकर खड़ा तिरंगा देखा।वंदे मातरम सजा अधर पर शौर्य में डूबी खादी आई,,जब साहस को लहू पिलाया तब जाकर आजादी आई।आजादी का दिन है जग को आजादी के गीत सुनाएं अमर तिरंगा लाल किले से नीले अंबर तक लहराएं*अंजुम क़ादरी*✍🏻

