ब्यूरो रिपोर्ट ज़ाकिर अंसारी हल्द्वानी
हल्द्वानी में आज बस्ती बचाओ संघर्ष समिति बनभूलपुरा ने आज अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष महजर नईम नवाब को उनके घर हल्द्वानी में कार्यालय पर बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे के गलत दावे के चलते हजारों परिवारों के बेघर हो जाने के खतरे के संबंध में ज्ञापन दिया गया।
इस दौरान ज्ञापन में कहा गया कि आपको अवगत कराना है कि हल्द्वानी शहर के रेलवे ट्रैक के किनारे और रेलवे स्टेशन के पास की बस्ती इंदिरा नगर पूर्वी, इंदिरा नगर पश्चिमी, किदवई नगर, गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती आदि के उजाड़े जाने का खतरा है। रेलवे के पास जमीन के मालिकाने के कोई दस्तावेज नहीं है। इसके तहत 4365 परिवार रेलवे की जद में आ रहे हैं। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर, बढ़ई, मिस्त्री, ठेले-रेहड़ी वाले, मकैनिक आदि-आदि मेहनतकशों के साथ व्यापारी, सरकारी कर्मचारी आदि मध्यमवर्गीय लोग रहते हैं। इनमें हिंदू आबादी के साथ अधिकांश अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी निवास करती है। इसमें मेहनतकश लोग यहां टीनशेड, झोपड़ी कच्चे व पक्के मकान बनाकर रहते हैं वही मध्यमवर्गीय व निम्न मध्यमवर्गीय लोगों के पास पक्के मकान मौजूद हैं।
ज्ञापन में कहा गया गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती की जमीन पर रेलवे के दावे के चलते बस्ती एक बार तोड़ ही दी गई। लोग चिन्हित वन भूमि पर चले गए पर वन विभाग द्वारा भगा दिए जाने पर लोग अपने उक्त बस्तियों में ही आकर बस गए। 2010-11 से पुनर्वास की शासन प्रशासन स्तर पर बातें हुई, योजना बनी। परंतु पुनर्वास की यह योजना धरी की धरी रह गई। लोगों को आवाज नहीं मिले। गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती के अलावा बनभूलपुरा के अन्य इलाकों पर रेलवे का कभी दावा नहीं रहा है। यहां रेलवे के पास जमीन पर मालिकाना के कोई दस्तावेज नहीं है। फिर भी रेलवे जमीन पर अपना दावा बढाता जा रहा है। नसीम टेलर के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई अंततः केंद्रीय सूचना आयोग में रेलवे ने बताया आवेदन कर्ता के द्वारा मांगी गई सूचना के संबंध में अवगत कराना है कि लैंड प्लान 4 पृष्ठ में संलग्न है। इसके अलावा कोई भी सूचना उपलब्ध नहीं है। यह नक्शे जमीन पर रेलवे के मालिकाने के दस्तावेज नहीं है। कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था अपने विस्तार की योजना नक्शा या लैंड प्लान बना सकता है परंतु यह उसके मालिकाने का प्रमाण नहीं हो सकता है। उक्त तथ्यों के आलोक में रेलवे द्वारा भूमि पर मालिकाने का दावा भ्रामक व झूठा है। ऐसे में रेलवे द्वारा लोगों को अतिक्रमण कारी कहना सरासर गलत है गैरकानूनी है। इसके संबंध में खुद उत्तराखंड सरकार ने उच्च न्यायालय में रेलवे को इस तरह जमीन हथियाने को अतिक्रमणकारी चयनित होने के अधीन और गैरकानूनी बताया है बल्कि न्याय के अनुसार शर्मनाक है यह भी बताया है।
महोदय बनभूलपुरा के इस इलाके में अल्पसंख्यक मुस्लिम और गरीब मेहनतकश हिंदू आबादी रहती है। इस इलाके में नगर निगम, उत्तराखंड सरकार द्वारा विद्यालय, सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल आदि सुविधाएं भी दी गई हैं। यह तो उत्तराखंड सरकार ने रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण कर नहीं बनाया है। अतः महोदय से यहां रह रहे इन लोगों के नागरिक अधिकारों की उम्मीद की रक्षा करते हैं। की मांग की गई। ज्ञापन देने में टीकाराम पांडे, नसीम महेश चन्द्र और सरताज आलम मौजूद थे।