बात ठीक उस दिन की है जिस दिन वह पहली बार अपने दादा जी के साथ ददियाल जा रही थी।और उसने अपनी फरमाइश भी की कि वह ट्रेन से जाना चाहती है।सब की लाडली थी इसलिए उसकी बात को माना भी जाता था।ट्रेन की दो टिकट रिजर्वेशन की गई।और वह रेलवे स्टेशन पर पहुंच कर अपने डब्बे में सवार हो गए लेकिन दादा जी को ज़रूरी चीजें खरीदनी थी इसीलिए वह ट्रेन से नीचे उतर आए अपनी पोती से कहा बेटा यहीं बैठो मैं अभी आता हूं।और कुछ देर के बाद ट्रेन चलने लगी। वह लड़की रोती सिसक्ति चलती ट्रेन से उतरने के लिए दौड़ी।लेकिन वहां बैठे एक शख्स ने उसको मज़बूती से पकड़ कर अपने से करीब कर लिया।वह ज़ारो क़तार रोए जारही थी।उसने कहा आप चुप हो जाइए अब जो स्टेशन आएगा उस पर हम उतर जाएंगे और वापस आपके दादा जी के पास चलेंगे।लेकिन वह रोए जा रही थी उस लड़के ने उससे उसका नाम पूछा।वह रोते हुए बोली मेरा नाम ज़ोबारिया है। एक तो मेरे दादा जी नहीं मिल रहे दूसरे आपको नाम की पड़ी है। लड़का उसकी यह बात सुनकर जोर से हंसा।बातों बातों में स्टेशन भी आ गया।वह उतरने ही वाले थे कि सामने से दादा जी आते नज़र आए।ज़ोबारिया दौड़कर अपने दादा जी के गले से लग गई।लड़का खामोश कशमकश में बैठा रहा और चोर नज़रों से उस खूबसूरत लड़की को देखता रहा।लड़की बेहद खूबसूरत कमसिन नाज़ुक और बहुत ही घने काले लंबे बालों वाली थी।दूसरे दिन जो़बारिया का फोन बजा उसने देखा कोई अननोन नंबर से कॉल आ रही है।उसने कॉल रिसीव नहीं की लेकिन फोन मुसलसल बजता जा रहा था।ज़ोबारिया कभी भी किसी भी अननोन नंबर को रिसीव नहीं करती थी।लेकिन कॉल भी शिद्दत से आ रहे थे उसमें फोन रिसीव किया दूसरी तरफ से एक रौबदार आवाज़ में हेलो ज़ोबारिया कैसे हो शब्द सुनाई दिए।उसने कहा मैं ठीक हूं लेकिन आप कौन हैं और मेरा नाम कैसे जानते हैं?लड़के ने सादगी से पूछा आप ठीक से घर पहुंच गए थे? मैं वही हूं जो कल ट्रेन में आपको मिला था।और मेरा नाम यासिर है मुझे आप बहुत पसंद आई लेकिन आपका रोना बिल्कुल भी पसंद नहीं आया बच्चों के जैसे रोती हो।जु़बारिया ने यह सब सुनकर बेसाख्ता बोला मैं अभी मसरूफ हूं फिर बात करूंगी अल्लाह हाफ़िज़। यह कह कर ज़ोबारिया ने फोन रख दिया। लड़का तरह-तरह के मैसेज करके अपने दिल की बात उस तक पहुंचाता रहा लेकिन रिप्लाई में कुछ भी नहीं आया।जु़बारिया वापस अपने ननिहाल आ गई और अपनी स्टडी पर फोकस करने लगी यासिर उसको हर रोज़ गुड मॉर्निंग गुड नाइट जैसे मैसेज सेंड करता रहा।एक दिन जु़बारिया ने दो साल के बाद यासिर को कांटेक्ट किया और फोन पर रोने लगी यासिर मेरे दादा जी फौत हो गए हैं।मैं बहुत टेंशन में हूं अपनी पढ़ाई पर फोकस भी नहीं कर पा रही बहुत तकलीफ होती है वालदेन पहले ही गुज़र गए अब दादा जी भी मुझे छोड़ कर चले गए।ऐसे ही धीरे-धीरे ज़ोबारिया को। यासिर पर यकीन हो चला था।यासिर और जुबारिया को मिले आज 3 साल हो चुके थे लेकिन उनके दरमियां वही पाकीज़गी थीलेकिन जु़बारिया की ज़िंदगी बहुत ही दुखो से भरी थी। यासिर को यह सब मंजूर न हुआ और उसने जु़बारिया को कहा कि वह ज़ोबारिया से निकाह करना चाहता है। जु़बारिया ने इसके लिए इंकार कर दिया लेकिन हालात कुछ ऐसे हुए उसका यासर से निकाह हो गया। ज़ुबारिया और यासिर के दरमियान निकाह के बाद भी पाकीज़गी राही।ज़ुबारिया (आइ ए एस) की तैयारी कर रही थी उन दिनों उसको यासर की हकीकत मालूम हुई जु़बारिया बहुत ही बीमार होगई हद यह हुई वह (आई ए एस) का पिरी इम्तिहान भी नहीं दे पाई। सस्पेंस अभी बाकी है यासिर और ज़ुबारिया की हकीकत जानने के लिए आने वाली किस्त का इंतजार कीजिए।✍🏻💐🍫💯✍🏻