रिपोर्टर- मोहम्मद ज़ाकिर अंसारी हल्द्वानी
उत्तराखण्ड में कक्षा 1 से 12 तक के स्कूली छात्रों को किताबें समय पर दिये जाने के सम्बन्ध में परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को ज्ञापन प्रेषित किया। इससे पूर्व 5-6 दिन से अलग-अलग स्कूलों में और सैकड़ों छात्रों के बीच हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। जिसमें छात्रों ने बढ़-चढ़कर हस्ताक्षर किए। ज्ञापन उप जिलाधिकारी कार्यालय के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी अनिल शर्मा के माध्यम से भेजा गया। ज्ञापन की प्रतिलिपि उत्तराखंड शिक्षा महानिदेशक और उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा सचिव को भी भेजी गई।
इस दौरान चली सभा में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार कक्षा 8 तक स्कूली छात्रों को निशुल्क पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराती रही है। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने के बाद सरकार ने पुस्तक देने की जगह डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर (डीबीटी) के माध्यम से धनराशि जारी करना शुरू किया।
सत्र 2022-23 से सरकार ने कक्षा 1 से 12 वीं कक्षा तक डीबीटी के जरिये पाठ्य पुस्तक निशुल्क देने का निर्णय किया। इस सत्र 2023-24 में एक माह से सत्र शुरू हो जाने के बाद भी छात्रों को पुस्तकें उपलब्ध नहीं करायी गयी हैं। बोर्ड परीक्षा वाले छात्र भी पुस्तकों से वंचित हैं। राज्य भर में लगभग 11 लाख से अधिक छात्र पुस्तकों से वंचित हैं। पुस्तकें समय पर उपलब्ध कराने के बजाय अभी एनसीईआरटी की वेबसाइट से पढ़ने का आदेश जारी किया गया है। इस प्रकार छात्र पुस्तकों के बिना अध्ययन कैसे जारी रख पायेंगे। 31 मार्च, 2023 को उत्तराखंड सरकार पुस्तकों के लिए एमओयू साइन कर रही थी। उत्तराखंड सरकार को जब छात्रों को किताबें देनी थी तो उसने समय पर एमओयू साइन क्यों नहीं किया।
इतनी लेट एमओयू साइन करना और पुस्तकें नहीं मिलना दिखाता है कि उत्तराखंड सरकार चुनावी फायदे के लिए छात्रों के साथ कई दावे करती है। लेकिन उन दावों की असलियत समय-समय पर इस तरीके से उजागर होती रहती है। इतनी लेट पाठ्य पुस्तकें देना दिखाता है कि उत्तराखंड सरकार छात्रों के साथ कैसा व्यवहार कर रही है। इसके विरोध में छात्र-नौजवानों सहित समाज के सभी तबकों-वर्गों को आगे आना होगा। तभी सभी छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके इसके लिए संघर्ष तेज किया जा सकेगा।
महोदय, उत्तराखण्ड में विद्यालय संसाधन और शिक्षकों के अभाव से जूझ रहे हैं। बैठने की भी उचित व्यवस्था कई विद्यालयों में नहीं है। छात्रों के हिसाब से सुविधाएं विद्यालयों में उपलब्ध नहीं है। मानकों के अनुसार विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं। कई विद्यालय एकल शिक्षकों के भरोसे पर चल रहे हैं।
इस दौरान ज्ञापन में 3 मांग की गई-
- कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के स्कूली छात्रों को तत्काल पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करायी जायें।
- जर्जर विद्यालयों को ठीक कर उनमें संसाधन उपलब्ध कराये जायें।
- सभी विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात के मानक के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति की जाये।
कार्यक्रम में महेश चन्द्र, चंदन, हिमानी, रुपाली, विनोद, अनिशेख आदि लोग उपस्थित थे।