



रिपोर्टर- मोहम्मद ज़किर अंसारी हल्द्वानी
एक तरफ कौम की बेटियों के लगातार मुर्तद होने की खबरें जोरों पर हैं लेकिन फिर भी हमारी क़ौम बेहयाई और नाचने गाने से बाज़ नहीं आ रही है। जैसा कि शादी – बियाह के मौके पर कौम बहुत सारे शरीअत के खिलाफ काम और रस्में अंजाम दे रही हैं। जैसे बेहयाई, नाच, गाना, ढोल, बाजे, डीजे और आतिशबाजी वगैरह।
ऐसे गैर शरई कामों को रोकने और क़ौम को इन गलत कामों से बचाने की कोशिश करने के लिए हल्द्वानी के इमामों और आलिमों के दरमियान एक मिटिंग हुई, जिसमें यह फ़ैसला लिया गया कि शादी और अकीका वगैरा किसी भी खुशी के मौके पर –
*(1)* डी. जे., बेंड – बाजा या ढोल वगैरा नहीं बजाना है,
*(2)* लड़कियों और औरतों को बारात का स्वागत नहीं करना है,
*(3)* वलीमे में दुल्हन को इस्टेज पर बे-परदा बैठाकर अपने-पराये गैर-महरम लोगों के सामने जो नुमाइश की जाती है, इसे भी बंद करना है
अगर किसी भी शादी में ऐसी कोई हरकत हुई तो वहां क़ाजी-ए-शहर की सरपरस्ती में एक टीम आलिमों और ज़िम्मेदारों की पहुंचेगी और वहीं शादी में खुल्लम-खुल्ला सबके सामने ऐसी गलत हरकत करने वाले लोगों का मुकम्मल बायकॉट किया जाएगा। उन लोगों का किसी भी खुशी या गम में साथ नहीं दिया जाएगा। वहां न निकाह पढ़ाया जाएगा, न क़ुरान ख्वानी, न फ़ातिहा और न ही किसी ग़मी के मौके पर उनका साथ दिया जाएगा।
अगर किसी शख्स ने वहां निकाह पढ़ाया तो निकाह पढ़ाने वाले व पढ़वाने वाले दोनों के साथ एक जैसा सुलूक किया जाएगा और ऐसा करने पर उनके खिलाफ नोटिस भी जारी किया जाएगा।

