वरिष्ठ लेखिका व समाज सेविका अंजुम क़ादरी✍🏻
ब्यूरो रिपोर्ट ज़ाकिर अंसारी हल्द्वानी
उत्तराखंड सरकार पूरे प्रदेश का सर्च कर वाटर लेवल पीने वाला जल देखे तो।
उत्तराखंड के अंदर जल को लेकर उत्तराखंड का हाथ तंग हो गया है। सौंदर्यीकरण और चौड़ीकरण को देखने वाले व्यक्ति ही अपने शरीर को जल से बिलगता हुआ महसूस कर रहे हैं।
यदि ऐसा रहा तो व्यक्ति स्वस्थ नहीं रह पाएंगे।
हम सभी जानते हैं।
जल ही जीवन है।
जल को हम नीला सोना भी कहते हैं।
इस वक्त तो इंसानों का हाल मछली जल की रानी जैसा प्रतीत हो रहा है।
एक तो जल ना होने के कारण मानव चिंतित हो गया है।
दूसरी ओर विद्युत यानी बिजली भी नहीं मिल पा रही है।
जल और बिजली दोनों ही चीजें मनुष्य के लिए बहुत जरूरी हो गई हैं।
बिजली न होने से मानव के शरीर में जो बचा हुआ जल है वह पसीना बनकर निकल रहा है और मानव शरीर का वाटर लेवल गिरता जा रहा है।
यदि ऐसा होता रहा तो अधिक संख्या में उत्तराखंड के अंदर कुपोषण और डायरिया जैसे घातक पेशेंट देखने को मिलेंगे। उत्तराखंड सरकार से निवेदन किया जाता है।
ग्राम सभाओं में विधायक के अंतर्गत आने वाले पानी के टैंकर डेलीवेज़ भेजें।
जिससे कि ग्रामीण लोग पीने का पानी पी सके और शरीर को भी स्वच्छ रख सके।
शहरों व पहाड़ पर पानी की तंगी हो गई है।
लोग पानी बिजली दोनों के ना होने से बहुत परेशान हैं।
मैं बहुत बार पानी के लिए लिख चुकी हूं कृपया कर पानी को गांव गांव तक पहुंचाने का कार्य जो रोका गया है उसको फिर से पाइपलाइन द्वारा शुरू किया जाए।
पीने योग्य पानी हर गांव शहर में भेजने का ज़िम्मा सरकार का ही है।
सरकार को यह ज़िम्मेदारी ज़ल्द ही निभा देनी चाहिए।
अभी वक्त हाथ में है यदि पानी की किल्लत और हो गई तो सीएचसी केंद्रों पर भारी जमावड़ा देखने को मिलेगा।
देखा गया है।
उत्तराखंड सरकार ने हर ग्राम सभा में अधिक से अधिक पेयजल के नल लगाए हुए है।
लेकिन उन नलों में पानी पहले ही दिन से नहीं आ पा रहा है।
मॉनसून अभी नहीं है। लेकिन होने वाला है। बारिशों के दिन शुरू होने वाले हैं।
उत्तराखंड सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में सेव वाटर के लिए। एकांकी, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ग्रामीण जनता को सेव वाटर करने के लिए प्रेरित करें।
और जगह जगह बावड़ी बनवाएं।
क्योंकि पृथ्वी अब मिट्टी की नहीं रही बल्कि पत्थर और सीमेंट की हो गई है।
बहुत सख्त पृथ्वी होती जा रही है।
बारिश का पानी आसानी से ज़मीन के अंदर जज़्ब नहीं हो पा रहा।
उत्तराखंड की उन तमाम जनता से भी हाथ जोड़कर अपील की जा रही है।
जिनके घरों में वाटर लेवल नहीं गिरा है वह अपने नल टंकी को खुला न छोड़ें।
जल को व्यर्थ ना बहाएं। बहुत ही समझदारी के साथ जल का उपयोग करें।
क्योंकि जल ही जीवन देता है।
भोजन भी जल से ही बनता है।
भोजन बिना हम आमरण अनशन भी कर लेते हैं लेकिन जल के बिना हम जीवित नहीं रह पाते।
इसलिए पेयजल की रक्षा हम सब की सुरक्षा।
जय हिंद जय शिक्षा जय वीर और वीरांगना