रिपोर्ट, मोo ज़ाकिर अंसारी,हल्द्वानी
हल्द्वानी,बस्ती बचाओ संघर्ष समिति बनभूलपुरा ने आज रेलवे द्वारा बनभूलपुरा बस्ती को उजाड़े जाने के विरोध में बुध बाजार स्थल बनभूलपुरा, रोडवेज, एसडीएम कोर्ट, तिकोनिया होते हुए जुलूस निकालकर विधायक आवास पर जाकर सुमित ह्रदयेश को चिलचिलाती धूप काफी लम्बा जुलूस निकालकर अपने घरों को बचाने के लिए ज्ञापन दिया। ज्ञापन के दौरान बच्चे महिलाएं बूढ़े सभी लोग इस चिलचिलाती धूप में काफी जोश खरोश के साथ नारे लगा रहे थे और सरकार से मांग कर रहे थे शासन-प्रशासन हमारे साथ में न्याय करो। रेलवे हमारे घरों को उजाड़ना बंद करो आदि नारे भी लगाए गए।
इस दौरान चली सभा में संघर्ष समिति के संयोजक टीकाराम पांडे ने कहा कि बनभूलपुरा क्षेत्र ढोलक बस्ती, गफूर बस्ती, किदवई नगर, इंदिरा नगर कॉलोनी वासी आपके संज्ञान में निम्न प्रमाणित तथ्यों को उजागर करना चाहते हैं कि रेलवे के पास इस संदर्भित भूमि का स्वामित्व नहीं है। अतः इस भूमि पर बसे लोगों के विस्थापन की प्रक्रिया अनियमित व अमान्य है। पूर्वोत्तर रेलवे भूमि मालिकाने के समर्थन में मात्र दस्तावेज “भूमि प्लान” नक्शा पेश करते हैं। वह नक्शा किसी योजना का घोतक होते हुए भी भूमि मालिकाने का दस्तावेज नहीं बनता है। रेलवे को भूमि स्थानांतरण नहीं हुई है। उत्तराखंड के राजस्व दस्तावेजों में भी भूमिका प्रकार आज की तिथि में भी ‘खेवट’ अंकित है, जो भूमि स्वामित्व के स्थानांतरण की अधूरी प्रक्रिया का स्पष्ट प्रमाण है। जो कि रेलवे के भूमि के मालिकाने के दावे को अमान्य करता है।
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के नसीम ने कहा कि खुद उत्तराखंड सरकार ने पुनर्विचार याचिका (MCC 16/2017) में 27/12/2016 को नैनीताल उच्च न्यायालय में जवाब देते हुए शपथ पत्र में कहा था “20. उपयुक्त दस्तावेजों से स्पष्ट है कि रेलवे विभाग ने न ही ईमानदारी से कार्यवाही की, न ही न्यायसंगत व उचित व्यवहार किया। लेकिन माननीय न्यायालय के 9/11/2016 की कार्यवाही के निर्णय की आड़ में राज्य सरकार की संपत्ति को; और यहां तक कि उन व्यक्तियों जिनके पास जमीन का वैध अधिकार है या वे जिनकी संपत्ति अतिक्रमणकारी चिन्हित होने के अधीन है; को हथियाया है, यह न सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि न्याय के अनुसार भी शर्मनाक है।” आज उत्तराखंड सरकार अपनी इस जमीन की पैरवी उच्च न्यायालय में नहीं कर रही है।
प्रमएके की रजनी ने कहा कि जब रेलवे लाइन नहीं बिछी थी तब भी हम यहीं पर निवास करते थे। इस इलाके में 2 सरकारी इंटर कॉलेज, प्राइमरी स्कूल, माध्यमिक स्कूल, सरकारी चिकित्सालय, आंगनबाड़ी केंद्र आदि सरकारी संस्थान भी बने हैं। यह इलाका नगर निगम के क्षेत्र में आता है। जिसका कर नगर निगम द्वारा लिया जाता है। सरकार की योजना के तहत यहां सड़कें, नालियां, बिजली, पानी आदि की सुविधाएं भी दी गई हैं। यह सरकारी स्कूल, अस्पताल आदि तो सरकार ने अतिक्रमण कर नहीं बनाए हैं। लोगों के पास जमीन पर फ्री-होल्ड से लेकर पट्टे तक मौजूद हैं। यानी यह जमीन रेलवे कि नहीं राज्य सरकार की व यहां रह रहे लोगों की संपत्ति है, जिस पर रेलवे अपना झूठा दावा कर रहा है।
पछास के महेश ने कहा कि इस हल्द्वानी शहर को खूबसूरत बनाने में हम सब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हम सब इस इलाके में रहने वाले मजदूर-मेहनतकश हैं और अब जबकि रेलवे के पास भूमि मालिकाने के दस्तावेज नहीं है फिर भी हमें हमारे वर्षों पुराने आवासों से उजाड़ा जा रहा है। यह न्याय संगत नहीं है। हमारे छोटे-छोटे मासूम बच्चे, जवान लड़कियां, वह हमारे बीमार, बड़े-बुजुर्ग सब सड़कों पर आ जाएंगे। विधायक हमारे क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हैं इसलिए हम विधायक से अपेक्षा करते हैं कि विधायक महोदय हमारी मांगों पर सक्रिय हस्तक्षेप कर सभी उचित मंचों पर हमारी आवाज को उठाएंगे। और हमें न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे।
इस दौरान विधायक से मांग की गई
- आगामी विधानसभा सत्र में बस्ती की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया जाए।
- न्यायालय सहित सड़कों पर भी बस्ती के मामले को लड़ने की जरूरत है।
- उत्तराखंड सरकार से सरकार की इस जमीन की पैरवी करने के लिए यथोचित दबाव डालें।
- हमारे स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के नाते उच्च न्यायालय सहित न्यायालय के सभी जगह में हमारे मामलों की पैरवी की जाए।
इस दौरान कार्यक्रम में टीकाराम पांडे, रजनी जोशी, नसीम, रियासत अली, वासित, रईस, महेश, चंदन, भाकपा माले से कैलाश पाण्डेय, शहनाज, नीलम, आलिया, मुस्कान, अफ़सरी, सोनी, फातमा, समीना, अकबर सलमानी, बाहार अली, बानों, शाहिद, शाहजेब, अशफ़ाक़, जुनैद, मुन्ना भाई, प्रकाश, मोहन मटियाली सहित सैकड़ों लोग शामिल थे।