


विशेष रिपोर्ट चीफ एडिटर जाकिर अंसारी हल्द्वानी
हल्द्वानी में मंगलवार को दोपहर लगभग 2:30 बजे इंदिरा नगर एक मीनार की मस्जिद के पास पति ने पत्नी झगड़े मैं गई पत्नी की ली जान,पूरा मामला बनभूलपुरा क्षेत्र इंदिरा नगर वार्ड नंबर 33 का है । चलिए पूरा मामला हम आपको बताते हैं ।एक मीनार की मस्जिद के पीछे बुग्गी चालक रईस अहमद अपनी पत्नी इरम परवीन उम्र 27 साल के साथ दो बच्चे जिसमें एक बच्चा लड़की 7 वर्ष दूसरा बच्चा लड़का 3:5 वर्ष का है ।बताया जा रहा है। की आपस में आए दिन रोज लड़ाई झगड़े हुआ करते थे।जिसमें दोनो बच्चो के साथ जिंदगी गुजरती चली जा रही थी। मंगलवार सायद इरम परवीन की जिंदगी का आखरी दिन था। किसी को नहीं पता था कि उसका ये आखरी दिन होगा ।वह अपने दो मासूम बच्चों को छोड़कर दुनिया से रुखसत हो जाएगी ।बताया जा रहा है पति पत्नी का झगड़ा होने के कारण पति ने पत्नी को जहर दे दिया।जिसके बाद इरम को उसके पति रईस अहमद ने सीढ़ियों से धक्का दे दिया जिससे किसी को अंदाज नहीं लग पाए, लोग ताकि यह समझे कि सीढ़ी से गिर कर इसकी मृत्यु हो गई है ।पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।और उससे पति रईस अहमद से पूछताछ जारी है । इरम परवीन कि 27 वर्ष की उम्र बताई जा रही है ।


लड़की के पिता सगीर अहमद अंसारी का कहना है। को उसके पति रईस अहमद ने ही जहर देकर सीढ़ियों से धक्का देकर घटना को बदलने की नियत से पत्नी को मार डाला ।ताकि किसी को यह शक ना हो कि पत्नी को जहर देकर मारा गया है। मृतका के जीजा और बहन को इस घटना के बारे में जब पता चला तब मौके पर पहुंचकर बहन और जीजा टैंपू में बैठा कर हॉस्पिटल के तरफ दौड़े ।मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था । डॉक्टरों ने इरम प्रवीण को देखकर मृत घोषित कर दिया ।तभी परिजन एवं अन्य हॉस्पिटल लेकर भागे परिजन लेकिन शायद तब तक होनी को कौन टाल सकता है इरम परवीन का आखिरी दिन था मृतका के पिता ने बताया कि रोज रोज लड़ाई झगड़े हुआ करते थे जिसके चलते पारिवारिक विवाद हमेशा बना रहता था ऐसा ही मेरी बेटी के साथ अत्याचार यह आए दिन रोज किया करता था

क्योंकि आए दिन इसका पति दही सहमत नशे का आदी था चरस सट्टेबाजी उसका जीवन बन गया था।जिसके चलते आए दिन मेरी बेटी को रोज रोज प्रताड़ित किया करता था मेरी बेटी मुझसे रोज शिकायत किया करती थी जिसकी शिकायत मैंने पूर्व में भी बनभूलपुरा थाना हल्द्वानी में की थी कुछ समय पूर्व अन्य सामाजिक लोग के कहने से मैंने अपनी बेटी को रईस अहमद के साथ भेज दिया लेकिन क्या पता था मेरी बेटी का यह हाल होगा अगर मुझे ऐसा पता होता तो मैं शायद अपनी बेटी को नहीं भेजता मेरी बेटी के दो मासूम बच्चे हैं अब उनका पालन पोषण कैसे होगा कौन करेगा उनकी देखभाल।
