


रिपोर्टेर अतुल अग्रवाल

हल्द्वानी ;- देव गिरि संस्कृत महाविद्यालय व कालभैरव संन्यास आश्रम तथा दक्षिणी कैलाश धाम ऐडाद्यो पिप्पलेश्वर मन्दिर आदि पीठों की स्थापना कर सनातन धर्म की ध्वजा को सर्वत्र फैलाने वाले वीतराग तपस्वी संत ब्रहमलीन महादेव गिरि जी महाराज की पुण्य तिथि पर उनके द्वारा स्थापित महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय में प्राचार्य डां नवीन चन्द्र जोशी के निर्देशन में रुद्राभिषेक सूक्त पाठ व महाराज का पूजन किया गया ।विद्यालय अध्यक्ष वरिष्ठ महामण्डलेश्वर स्वामी परेश यति जी महाराज व प्रवन्धक नवीन वर्मा ने महाराज जी चित्र पर पूजन किया उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये।


महामण्डलेश्वर महाराज ने कहा कि महादेव गिरि जी महाराज योगी तपस्वी संत के साथ साथ परम उपकारी समासेवी संत भी थे ।उनके द्वारा भारतीय संस्कृत को उच्च शिखर में ले जाने के प्रयास हुए ।उन्होने कहा कि संत फलदार वृक्ष व नदी के समान उपकारी होते हैं ।भारतीय संस्कृति को गौरवमय सवरुप में स्थापित करने के लिए उन्होनें नि: शुल्क संस्कृत शिक्षा की नीव रखी ।मुख्य वक्ता डां मनोज पाण्डेय ने कहा कि अपने महान कार्यों के कारण ही उन्हें महादेव कहा जाता है संत सदा परोपकारी होते हैं ।प्राचार्य डां नवीन चन्द्र जोशी ने बताया कि कोविड महामारी के चलते सभी सदस्यों ने आँनलाइन कार्यक्रम भाग लिया । तारा चन्द्र गुरुरानी व भोलाशंकर डी सी खुल्बै तारादत्त पाण्डेय चौधरी समर पाल सिंह आदि ने विचार रखे ।कार्यक्रम में डां कृष्णचन्द्र जोशी राकेश पंत पान विष्ट आदि भाग लिया । पान सिह विष्ट द्वारा प्रसाद वितरण किया गया। डां नवीन चन्द्र जोशी ने संचालन किया।
