


रिपोर्टर अतुल अग्रवाल

हल्द्धानी के बुद्ध पार्क में भाकपा ( माले ) के द्वारा शोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुये सांकेतिक धरना दिया जिसमें पदाधिकारियों का कहना है कि आज अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें न्यूनतम स्तर पर होने के बावजूद देश में डीजल-पेट्रोल की कीमतें आसमान क्यों छू रहीं, जवाब दो
निजी तेल कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों में की जा रही बेतहाशा मूल्य वृद्धि के खिलाफ उत्तराखंड राज्य स्तर पर वामपंथी पार्टियों के संयुक्त आह्वान पर हल्द्वानी के बुद्धपार्क में शारीरिक दूरी के मानकों का पालन करते हुए “विरोध दिवस” कार्यक्रम आयोजित किया गया। धरना प्रदर्शन के पश्चात मोदी सरकार का पुतला दहन किया गया।
इस अवसर पर भाकपा (माले) के वरिष्ठ नेता कामरेड बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “विगत 21 दिनों से जिस तरह लगातार पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में लगातार वृद्धि की गई,वह नितांत जनविरोधी और अस्वीकार्य है। मोदी सरकार 2014 में पहली बार पेट्रोल-डीज़ल की मूल्य वृद्धि को एजेंडा बना कर सत्ता में आई थी. लेकिन इस सरकार के छह सालों में मूल्य वृद्धि ने वो रिकॉर्ड हासिल कर लिया,जो आज़ादी के सात दशक में कभी नहीं हुआ. पहली बार पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें बराबर हो गयी और कुछ स्थानों पर तो डीज़ल के दाम पेट्रोल के दामों से अधिक हो गए हैं.”
माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “जिस समय पूरा देश कोरोना के कहर की चपेट में है,काम-धंधे ठप्प हैं और आय के स्रोत समाप्त हो रहे हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए था कि वह जनता को राहत देती,उस पर मंहगाई के बोझ को कम करती. लेकिन उसके ठीक उलट केंद्र सरकार पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें लगातार बढ़ाए जा रही है.पेट्रोल-डीजल के दामों यह वृद्धि आवश्यक वस्तुओं के दामों में भी वृद्धि का सबब बनेगी और यह आम आदमी का जीना और मुश्किल कर देगी. यह विडम्बना है कि जब दुनिया भर में क्रूड ऑइल की कीमतें रसातल को चली गयी,तब भी सरकार ने उन निम्न स्तर पर पहुंची हुई तेल की कीमतों का लाभ जनता ताकि नहीं पहुँचने दिया. बल्कि इसके उलट दुनिया में तेल की कीमतें निरंतर कम हो रही थी और भारतीय जनता तेल की निरंतर मंहगी कीमतें चुका रही थी.यह जनता के साथ सरासर नाइंसाफी और लूट है.”
वामपंथी पार्टियां के धरने के माध्यम से यह मांग उठाई कि पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें को तत्काल कम किया जाये और मंहगाई का बोझ डालने के बजाय जनता को मंहगाई से उबारने के प्रभावी उपाय किए जाएँ.
विरोध प्रदर्शन में माले के वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, डॉ कैलाश पाण्डेय, भुवन जोशी, ललित मटियाली, विमला रौथाण, एन डी जोशी, मोहन लाल आर्य, हरीश भंडारी, गोपाल गड़िया, कमल जोशी, धीरज कुमार आदि मौजूद रहे
