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हल्द्वानी_अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर रोडवेज परिसर में आयोजित की गई सभा रिपोर्टर – समी आलमहल्द्वानी – अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर हल्द्वानी में विभिन्न सामाजिक संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने मिलकर रोडवेज परिसर में सभा आयोजित की। सभा ‘मई दिवस आयोजन संयुक्त समिति’ के साझा मंच के जरिये कार्यक्रम किया गया।
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कार्यक्रम का संचालन प्रगतिशील भोजनमाता यूनियन की रजनी ने किया।सभा में वक्ताओं ने मजदूर दिवस के ऐतिहासिक महत्व पर बात रखी। ‘8 घंटे के कार्यदिवस’ की मांग को लेकर 1886 में शिकागो के मजदूरों के बहादुराना संघर्ष की याद में मई दिवस की नींव पड़ी। 4 मई को अमेरिका के ‘हे मार्केट’ में निहत्थे मजदूरों के खून से सड़कों को लाल कर दिया गया। आज भारत में मोदी सरकार द्वारा जारी मजदूर विरोधी ‘श्रम संहिताओं’ को रद्द कराने के लिये जुझारू संघर्ष पर जोर दिया।वक्ताओं ने कहा कि, 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मजदूरों के आठ घंटे काम के कार्यदिवस के अधिकार को हासिल करने के लिए चले आंदोलन में शहीद हुए मजदूरों की याद में हर साल मनाया जाता है। इस आंदोलन के बाद ही पूरी दुनिया में आठ घंटे का कार्यदिवस लागू हुआ।
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आज जब मोदी सरकार मजदूर आंदोलन के बल पर हासिल किए गए मजदूर पक्षीय 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूरों के लिए गुलामी के 4 श्रम कोड थोपने पर आमादा है तब मजदूर आंदोलन की मई दिवस की विरासत को याद करना और उसको बुलंद करते हुए मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना बेहद जरूरी हो गया है। इसलिए सभी मजदूर संगठनों और यूनियनों को एकजुट होकर मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठानी होगी।सभा में वक्ताओं ने कहा कि आज दुनियाभर के पूंजीवादी-साम्राज्यवादी शासक युद्धोन्माद में लगे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध को दो साल से अधिक हो चुके हैं तो फिलिस्तीन में 36,000 से अधिक लोगों का नरसंहार करके भी अमरीकी साम्राज्यवादी और इजरायली शासक रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। आज अमेरिका, यूरोप के विश्विद्यालय के छात्र-नौजवान फिलिस्तीन में जारी नरसंहार के विरोध में जुझारू संघर्ष कर रहे हैं।
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हम छात्रों के संघर्ष को सलाम करते हैं और भारत सरकार से मांग करते हैं कि वह इस नरसंहारक युद्ध को भारतीय मजदूरों को इजरायल भेजना बन्द करे।वक्ताओं ने भारत में मजदूरों-कर्मचारियों की दुर्दशा पर रोष व्यक्त किया। पिछले समय में मोदी सरकार ने विनिवेशीकरण-मौद्रीकरण के नाम पर, रेलवे, बीएसएनएल, एयरपोर्ट, बन्दरगाह, आदि को कौड़ियों के भाव पूंजीपतियों पर लुटाया जा रहा है। मजदूरों को 12-14 घंटे, ठेकेदारी के तहत, किसी भी तरह की श्रम सुरक्षा के बिना काम करने पर मजबूर किया जा रहा है। मजदूर यूनियन बनाना लगातार मुश्किल किया जा रहा है। यहां तक कि उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय से मजदूरों के पक्ष में आने वाले फैसलों तक को लागू नहीं किया जा रहा है। इस पूरे मजदूर विरोधी माहौल को ‘श्रम संहिताओं’ के जरिये मोदी सरकार कानूनी जामा पहनाने पर आमादा है। लगातार बढ़ती बेरोजगारी और मजदूरों की दुर्दशा ने कर्मचारियों को हासिल सामाजिक सुरक्षाओं में कटौती की गई है। लगभग एक तिहाई वर्कफ़ोर्स से कर्मचारी काम कर रहे हैं तो ठेकाकरण, संविदा के तहत काम करवाया जा रहा है। आशा, भोजनमाता, आंगनबाड़ी के तहत मजदूरों का भयंकर शोषण सरकारें कर रही हैं।वक्ताओं ने देश में बढ़ रहे फासीवाद के खतरे के प्रति सचेत रहते हुए संघर्ष करने पर जोर दिया। मोदी सरकार लगातार मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हमलावर है। इसके साथ ही दलितों, आदिवासियों, महिलाओं को भी लगातार निशाना बनाया गया है। तथाकथित “हिन्दू राष्ट्र” के नाम पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हमले करते हुए सभी मजदूर-मेहनतकशों पर मोदी सरकार हमलावर है। सभा में धर्म-जाति-क्षेत्र-लिंग-क्षेत्र-लिंग-लिंग के आधार पर बंटने के बजाय मजदूर-मेहनतकशों की मजबूत एकता बनाने पर जोर दिया।
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सभा में ‘दुनिया के मजदूरो एक हो’, ‘मजदूर एकता जिंदाबाद’, शोषण-उत्पीड़न नहीं सहेंगे’, मजदूर विरोधी श्रम संहिता रद्द करो’ आदि जोशीले नारों से परिसर को गुंजायमान किया।कार्यक्रम में रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद से जगदीश कांडपाल, भाकपा (माले) से कैलाश पाण्डे, सनसेरा श्रमिक संगठन से दीपक कांडपाल, धनसिंह गड़िया, उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन से कमला कुंजवाल, अखिल भारतीय किसान महासभा से बहादुर सिंह जंगी, एनएसयू के संयोजक जगत सिंह डोभाल, परिवर्तनकामी छात्र संगठन से महेश, बीमा कर्मचारी संघ से पंकज, एक्टू के धन सिंह, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन से मुकेश भंडारी, जनवादी लोक मंच से मनोज पांडे, योगेश, हरीश, क्रांतिकारी किसान मंच से आनंद, राजेन्द्र सिंह वालिया, नारायण बडोला, आंनद जीना आदि वक्ताओं ने बात रखी।सभा में सुमन बिष्ट, मंजू, रजनी, मनोज आर्य, अशोक कश्यप, अखिल शर्मा, रियासत, उमेश, प्रकाश, उमेश चंदोला, मोहन मटियाली, धन सिंह, गोकुल कुमार, जगत सिंह, सुरेश भट्ट, आदि मौजूद रहे।
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