विधा -दोहा छंदविषय-सावन☔☔☔☔☔☔☔🌧️⛈️⛈️⛈️🌧️🌧️⛈️⛈️⛈️⛈️🌨️🌨️🌨️🌨️🌨️🌨️🌨️🌨️घिर-घिर सावन की घटा, बरसत करती शोर।झूम- झूम के बावरी, करती तम अति घोर।।
चम- चम चमके दामिनी, घटता तम घनघोर।सावन की इस मास में ,नाचे वन में मोर।।रिमझिम बरसे बादली ,छम- छम गावे राग।
सावन की रुत पावनी ,जागे धरती भाग।।रुक-रुक राका रोशनी, छुपती बदली ओट।विरहन को बरसात में, लगे हृदय में चोट।।
सावन की फुहार में ,गाते मेघ मल्हार।
विपिन मयूरा नाचते,-नाचे सब नर, नार।।
नाच -नाच झूला झुले, नाचत भीगे देह।अंग संग सखियां रहे ,रिमझिम बरसे मेह।
।(AQ)✍🏻🌧️🌧️🌧️🌧️🌧️🌧️🌧️