रिपोर्टर- मोहम्मद ज़ाकिर अंसारी हल्द्वानी
परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) ने एमबीपीजी कॉलेज के सामने डीडी पंत पार्क, हल्द्वानी में 23 मार्च शहीदी दिवस भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को याद करते हुए ‘छात्रों! सुनो भगत से कहते है…’ नामक शीर्षक से सभा की गयी। कार्यक्रम की शुरुआत मेरा रंग दे बसंती चोला गीत से की गई। कार्यक्रम में शहीदों के जीवन पर चर्चा, गीत, कविता पाठ आदि कार्यवाहीयां की गई। आज इनकी शहादत के 92 साल पूरे हो गए हैं।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा यह तीनों शहीद क्रांतिकारी नौजवान हिंदुस्तान की आजादी के नायक थे। जिन्होंने ना सिर्फ देश को आजाद कराने की सोची बल्कि इससे कहीं आगे की सोच एक समाजवादी राष्ट्र के निर्माण की बात की जिसमें सभी को हर क्षेत्र में समान अवसर मिल सके। भगत सिंह आज भी छात्रों-नौजवानों, मज़दूरों-किसानों समाज के अन्य वर्गों जो किसी भी प्रकार के शोषण व अन्याय के खिलाफ है उन सभी के दिलों में जिंदा है।
आज के समाज में सरकारों द्वारा शिक्षा को आम छात्रों के लिए दूर की कौड़ी बना दिया गया हैं। लगातार सरकारी शिक्षा को कम, करके प्राइवेट शिक्षण-संस्थानों को बढ़ावा दिया जा रहा है। फीसे बढ़ाकर छात्रों-नौजवानों की कमर तोड़ी जा रही है। आज हर तरफ बेरोजगारी से लोगों की हालत पस्त हैं। शिक्षित-प्रशिक्षित छात्र-नौजवान 6-7 हज़ार प्रति माह में काम करने को मजबूर हैं। किसी भी विभाग में भर्ती घोटाले आम बात है। समाज में जातियों-धर्मों के बीच में नफरत फैलाई जा रही है। लोगों को आपस में लड़वाया जा रहा है। अन्नाय की विरुद्ध, समाज के हक में उठने वाली हर आवाज को कुचला जा रहा है। फर्जी मुकदमे लगाए जा रहे हैं। आज महिला हिंसा आम बात हो गई है।
भगत सिंह के विचारों से ना सिर्फ अंग्रेजों को डर लगता था बल्कि आज के शासक भी खौफ खाते हैं क्योंकि भगत सिंह लूट पर टिके समाज के खिलाफ थे।इसलिए आज के शासक भगत सिंह को एक सिरफिरे नौजवान के रूप में पेश करते हैं। वह सांप्रदायिक व साम्राज्यवादी विचारधारा, व्यवस्था के खिलाफ थे उसी विचारधारा के हिमायती उनकी छवि को अपने छुद्र स्वार्थी हितों को भुनाने के लिए आज भगत सिंह को याद कर रहे हैं। हमारा कार्यभार बनता है कि हम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाएं।
भगत सिंह पूंजीवादी व्यवस्था के खात्मे में ही इन समस्याओं का समाधान देखते थे जो कि कमोबेश उस दौर में भी इसी रूप में या कुछ बदले हुए रूप में मौजूद थी, जो आज भी मौजूद है। आज जरूरत बनती है कि भगत सिंह के विचारों को याद करते हुए इस समाज के बदलाव की लड़ाई में एकजुट होकर खड़े होना होगा और एक खूबसूरत समाजवादी समाज के निर्माण में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करनी पड़ेगी। कार्यक्रम का अंत ए भगत सिंह तू जिंदा है गीत से किया गया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं सहित, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन और प्रगतिशील महिला केंद्र के साथियों ने भी भागीदारी की।
कार्यक्रम में पछास के महासचिव महेश, विनोद, चंदन, हिमानी, रूपाली, अनुराग, अनिषेक, हेमा, उमेश, अंशु, ललित, रजनी, रियासत, रईस सहित अनेको लोग उपस्थित थे।