


अल्पसंख्यक महिला प्रदेश अध्यक्ष अंजुम क़ादरी✍🏻
*परिजन अब मान भी जाओ हमें बेटी पढ़ाना है।*

*अपनी बेटी पड़ा करके आत्मनिर्भर बनाना है।*
*रूप और रंग के कायल करते हैं बेटियां घायल।*
*इन्हें रसते पे लाना है इन्हें रसते पर लाना है।*
*आत्मनिर्भर बनाना है*
*परिजन अब मान भी जाओ,,,,,,,*
*बेटा बेटी को एक समझो द्वेष ईर्ष्या में ना उलझो।*
*भेद अब यह मिटाना है भेद अब ये मिटाना है।*
*आत्मनिर्भर बनाना है*
*परिजन अब मान भी जाओ,,,,,,,*
*ज्ञान से तिमिर को छाटो दीप वन रोशनी बांटों।*
*अंधेरों को मिटाना है अंधेरों को मिटाना है।*
*आत्मनिर्भर बनाना है*
*परिजन अब मान भी जाओ,,,,,,*
सन 1991 2001 एवं 2011 की जनगणना के अनुसार महिलाओं की संख्या पुरुषों के अनुपात में लगातार गिरावट आई है। लगातार महिलाओं की घटती जनसंख्या का मुख्य कारण महिलाओं का अनपढ़ होना है।आज भी हमारे समाज में व्याप्त दहेज प्रथा भी है। आज भी आम लोगों की चाल होती है कि बेटी तो पराया धन है इस से क्या फायदा होता है शादी करने पर बहुत सारा दहेज भी जाता है। यही सब सोचकर लोग बेटी को पैदा होने से पहले मार देते हैं। ऐसी बहुत सारी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए हमारे पीएम नरेंद्र मोदी जी ने 2015 से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को चलाने के लिए लोगों को सचेत करने का प्रयास शुरू किया। लोगों को सफल महिलाओं का उदाहरण देकर यह समझाने का प्रयास किए जा रहा है कि बेटियों को भी मौका मिलना चाहिए।
आज शिक्षा के विस्तार के फल स्वरुप लोगों की मानसिक सोच में काफी बदलाव आया है। हम आज बेटियों और बेटियों की परवरिश और प्रक्रियाओं को एक समान रखने का प्रयास कर रहे हैं। बल्कि देखे तो आज प्रतिस्पर्धा और सेवा के क्षेत्र में कुछ लोग आगे बढ़ रहे हैं। तो इसे लेकर जहाज के निर्माण में एक नागरिक से लेकर राष्ट्रपति तक। प्रथम चिकित्सा से लेकर देश की रक्षा में भी अपना परस्पर सहयोग दे रहे हैं। अपने माता पिता के साथ साथ देश का नाम भी रोशन कर रही हैं। इतना ही नहीं सारी दुनिया में महिलाएं पुरुषों से कंधा मिलाकर नहीं पुरुषों से 10 कदम आगे बढ़ चुकी है।
बेटी पढ़ाओ बीबीबीपी योजना शुरू की गई है योजना प्रारंभ में 2014-15 में 100 जिलों में शुरू की गई और 2015-16 में 61 अतिरिक्त जिलों में इसका विस्तार किया गया। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से पूरे जीवन काल में शिशु लिंगानुपात में कमी को रोकने में मदद मिलती है। और महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान होता है। यह योजना 3 मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है अर्थात महिला और बाल विकास मंत्रालय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय के लिए यह योजना लागू की गई है। यदि बेटी पढ़ी लिखी होगी तो विवाह के बाद नए रिश्तो को तन मन से स्वीकारेगी। बेटी को शिक्षित करना पूरे परिवार को शिक्षित करना है। बेटी बड़ी होकर पत्नी मां परिवार को संजयोती है। वह जन्म दात्री ही नहीं चरित्र निर्मात्री भी है। एक शिक्षित बेटी पूरे परिवार को नई शिक्षा ,नई दिशा नई रोशनी , नया परिवेश देती है। महिलाओं की बढ़ती खराब स्थिति को देखते हुए भारत सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गई थी। भारत में कन्या शिशु दर में होने वाली गिरावट को कम करने के लिए व कन्याओं के भविष्य को सुरक्षित उज्जवल बनाने के लिए इस अभियान की शुरुआत की गई थी। इसके साथ ही इस अभियान से महिला सशक्तिकरण को भी बहुत बल मिलता है। शिक्षित व खुशहाल बेटी हमारे देश व समाज का भविष्य होती है जिस समाज में बेटियों का सम्मान नहीं है वह समाज तरक्की नहीं कर सकता। हमारी संस्कृति में प्राचीन काल से ही कन्या पूजन की प्रथा प्रचलित है। कन्या को देवी का स्वरूप माना गया है। हमारे यहां कहा गया है
*यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता*
भारतीय संस्कृति में नारी को पुरुषों से ऊंचा स्थान दिया गया है।
शिक्षा है अनमोल रतन पढ़ने का सब करो जतन जय हिंद जय भारत जय शिक्षा🌳🙏🌳✍🏻
